Mangal Dosh / Kuj Dosh / What is Mangal Dosh ? मंगल दोष / मंगल दोष का परिहार / मंगल दोष का फल / मंगल दोष क्या है ? कुज दोष क्या है ? Mangal Dosh Kya Hai ? Mangal Dosh Ke Upay kya Hain ?
Mangal Dosh kya hai aur kaise hotahai ? मंगल दोष क्या है और कैसे होता है ?
जन्म कुंडली में जब मंगल जन्म लग्न से पहले ,चौथे ,सातवें ,आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो तो ऐसी कुंडली मांगलिक कुंडली कहलाती है।मंगल की इसी स्थिति को मंगल दोष कहा जाता है। इसे विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है।
कुछ विद्वानों के अनुसार और विशेष रूप से दक्षिण भारत में कुंडली के दूसरे भाव में मंगल हो तो भी जातक को मांगलिक माना जाता है। इस प्रकार बारह भावों में से छ भावों में मंगल होने पर मंगल दोष माना जाता है।
लेकिन -
जन्म कुंडली में अन्य बातें जैसे -मंगल की मजबूत स्थिति ,उच्च ग्रहों का मंगल पर प्रभाव या कुंडली में इसी प्रकार की अन्य शुभ स्थितियां हो तो मंगल दोष अप्रभावी या दोष रहित हो जाता है। इस के अतिरिक्त शास्त्रों में मंगल दोष दूर करने के उपाय भी उपलब्ध हैं, इस लिए मंगल दोष के होने पर डरने की आवश्यकता नहीं है।
लेकिन -
जन्म कुंडली में अन्य बातें जैसे -मंगल की मजबूत स्थिति ,उच्च ग्रहों का मंगल पर प्रभाव या कुंडली में इसी प्रकार की अन्य शुभ स्थितियां हो तो मंगल दोष अप्रभावी या दोष रहित हो जाता है। इस के अतिरिक्त शास्त्रों में मंगल दोष दूर करने के उपाय भी उपलब्ध हैं, इस लिए मंगल दोष के होने पर डरने की आवश्यकता नहीं है।
Mangal Dosh ka Parihar मंगल दोष का परिहार :-
ज्योतिष के शास्त्रों में जहाँ मंगल दोष का उल्लेख है,वहीँ इस दोष के निवारण या परिहार का भी उल्लेख है।
मंगल दोष का परिहार दो प्रकार से होता है।
(अ) स्वयं जातक की कुंडली से। (ब) साथी की कुंडली से।
(अ) स्वयं जातक की कुंडली से परिहार :-
1. मेष का मंगल लग्न में ,बारहवां धनु का हो, चौथा वृश्चिक का हो , सातवां मीन का हो और आठवां कुम्भ का मंगल हो तो उस कुंडली में मंगल दोष नहीं होता है।
2. मंगल पर गुरु की पूर्ण दृष्टि हो तो मंगल हानिकारक नहीं होता है।
3. मंगल , गुरु के साथ अथवा चन्द्रमा के साथ हो या चन्द्रमा केंद्र में हो तो मंगल दोष का परिहार हो जाता है।
4. कन्या की कुंडली में गुरु केंद्र या त्रिकोण में हो तो मंगल दोष का परिहार हो जाता है।
5. यदि मंगल स्वराशि में हो,उच्च राशि में हो,मित्र राशि में हो,उच्च नवांश या मित्र नवांश में हो या वर्गोत्तमी हो तो भी मंगल दोष नहीं होता है।
(ब) साथी की कुंडली से मंगल दोष का परिहार :-
1. एक की कुंडली में मांगलिक स्थान में मंगल हो तथा दूसरे की कुंडली में भी इन्ही स्थानों में मंगल हो तो इस से मंगल दोष का परिहार हो जाता है।
2. एक की कुंडली में मांगलिक स्थान में मंगल हो तथा दूसरे की कुंडली में इन्ही स्थानों पर शनि या राहु हो तो यह मंगल दोष का परिहार है।
Mangal Dosh ke upay मंगल दोष के उपाय :-
यदि विवाह अनिवार्य हो और मंगल दोष का पूर्ण परिहार नहीं हो रहा हो या मंगल कष्टकारी स्थिति में हो तो इस के लिए निम्नांकित में से किसी एक उपाय को करना चाहिए - घट/कुम्भ विवाह या विष्णु विवाह या महामृत्यंजय मंत्र का जप या मंगला गौरी व्रत या वट सावत्री व्रत करना चाहिए।
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