Thursday 15 September 2016

(7.1.4) Sadhe sati of Shani / शनि की साढ़ेसाती (बृहत् कल्याणी )

शनि की साढ़ेसाती (बृहत् कल्याणी ) / Shadhe saati of the planet Shani /शनि की साढ़े साती के उपाय 

शनि की साढ़े साती क्या होती है ? (For English translation click here)
किसी व्यक्ति की जन्म राशि से शनि गोचर भ्रमण करते हुए बारहवें, पहले व दूसरे भाव में आ जाये, तो इस साढ़े सात वर्ष की अवधि को शनि की साढ़े साती या बृहत कल्याणी कहा जाता है। जन्म राशि से बारहवी राशि में सिर पर, जन्म राशि में ह्रदय पर तथा द्वितीय राशि में पैरों पर शनि का प्रभाव माना  जाता है।
शनि एक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहता है तथा सम्पूर्ण राशि चक्र का भ्रमण तीस वर्ष में पूरा करता है।
इस प्रकार किसी व्यक्ति के जीवन में शनि की साढ़े साती की तीन आवृत्तियाँ आ सकती हैं। शनि की साढ़े साती के दौरान शनि अशुभ फल करता है और विशेष रूप से जब यह जन्म कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो यह निराशा, मानसिक तनाव, परेशानियाँ, विवाद, वित्तीय हानियाँ, बीमारियाँ व शत्रु के कारण परेशानियाँ उत्पन करता है।
हालाँकि सम्पूर्ण अवधि में शनि एक जैसा फल नहीं देता है। अन्य ग्रहों की गोचर की स्थिति और दशा अंतर दशा की स्थिति के कारण परिणाम में अन्तर आ जाता है।
इसके अतिरिक्त  शनि जन्म कुंडली में योग कारक, षडबल से युक्त, उच्च, स्व, मित्र राशि  या शुभ स्थान में हो तो व्यक्ति को  सुख सम्पति एवं व्यापार में अनायास ही सफलता दिला  देता  है। उसका विवाह, बच्चों  का जन्म या नौकरी में तरक्की , चुनाव में जीत , विदेश यात्रा , आदि  शुभ कार्य इस साढ़ेसाती के दौरान होते हैं।
शनि को न्याय का ग्रह माना जाता है। इसलिए यह व्यक्ति को उसके द्वारा किये गए कर्मों के अनुसार उसे अच्छा या बुरा फल देता है। बुरे कार्य के लिए सजा देता है और अच्छे कार्य के लिए पुरुस्कृत करता है।
शनि की साढ़ेसाती के उपाए :-
शनि की साढ़ेसाती के दौरान दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नांकित उपाय लाभकारी हैं :-
कम से कम सात शनिवार तक हनुमान जी के मंदिर में जाकर सात या पाँच बार हनुमान चालीसा का पाठ  करें। (यदि मंदिर में नहीं जाया जा सके तो घर में किसी शांत स्थान पर बैठकर हनुमान चालीसा का ग्यारह बार पाठ  करें।
( या ) शनि वार को सुन्दर कांड का पाठ करें।
 (या) सात शनिवार व्रत रखें , हनुमान जी के मंदिर में जायें , हनुमान जी को 100 ग्राम गुड व 100 ग्राम भुने हुए चने प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।
 (या) निम्नांकित मन्त्र का जितना अधिक जप कर सकें उतना जप  करे -
 ॐ शं  शनैश्चराय नमः।
उपरोक्त उपायों के साथ - साथ यथा शक्ति तेल , तिल ,छाता , कम्बल , जूते आदि का  दान करें। कबूतरों को दाना खिलाएं व चीटियों के बिल के पास शक्कर मिला हुआ आटा डालें।
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