Monday 26 September 2016

(7.1.5) Guru / Shukra Ka Ast Hona/ Tara Doobana / तारा डूबना

Tara Doobana/गुरु शुक्र का अस्त होना / तारा  डूबना / Guru / Shukra Kaa Ast Hona

गुरु तथा शुक्र कब अस्त होते हैं ? तारा डूबना किसे कहा जाता है ? (For English translation click here)
जब कोई ग्रह किसी निश्चित सीमा तक सूर्य के नजदीक आ जाये तो इस स्थिति को उस ग्रह का अस्त होना कहा जाता है।सूर्य के नजदीक की सीमा को डिग्री में नापा जाता है जो भिन्न ग्रह के लिए भिन्न होती है।जब कोई ग्रह अस्त होता है तो उसकी शक्ति और चमक क्षीण हो जाती है जिस से वह ग्रह अपना पूर्ण फल नहीं दे पाता है।
गुरु या शुक्र के अस्त होने पर किन कार्यों  निषेध है ?    
वैदिक ज्योतिष के अनुसार गुरु (बृहस्पति ) तथा शुक्र को शुभ ग्रह  माना जाता है इस लिए इन के अस्त होने के दौरान शुभ कार्य करना निषेध  है।इन के अस्त होने पर तथा इन के बाल - वृद्धत्व( जो  सामान्यतया इन के अस्त होने के तीन दिन पहले तथा उदय होने के तीन दिन बाद तक माना जाता है) की  सम्पूर्ण अवधि में निम्नांकित कार्य नहीं किये जाते हैं - 
कुये या तालाब का खोदना,घर का निर्माण करना,गृह प्रवेश करना,विवाह,सगाई ,नया व्यापार शुरू करना,नया वाहन खरीदना ,मुंडन या किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करना। 
निम्नांकित कार्य किये जा सकते हैं -
 सीमांत , जातकर्म , नामकरण , अन्नप्राशन आदि में  मलमास तथा गुरु शुक्र के अस्त का दोष नहीं है। अर्थात जिन कार्यों के लिये नाम या दिन नियत कर दिये हैं , जैसे नामकरण ग्यारहवें दिन, न्हावण भी दसवें या ग्यारहवें या तेरहवें दिन कर ही लेना चाहिये। ये गुरु या शुक्र के अस्त कर सकते हैं। (परन्तु जलपूजा (जलवा ) नहीं करें।)