Wednesday 28 September 2016

(7.1.6) What is Bhadra / Bhadra Kya hai

Bhadra / Vishti Karan / भद्रा / विष्टि करण 

भद्रा क्या है/ ज्योतिष में भद्रा किसे कहते हैं ? (For English translation click here )
विष्टि नामक करण को ही 'भद्रा' कहा जाता है।  इस  करण को अशुभ माना जाता है। इसलिए सभी शुभ कार्यों  में इसका  त्याग करना चाहिए।
भद्रा की उत्पत्ति -  
देवासुर संग्राम के समय भगवान शंकर  ने अपने शरीर पर दृष्टि पात किया, परिणाम स्वरूप एक भयंकर रूप वाली देवी प्रकट हुई। इस देवी ने सभी असुरों का संहार कर संग्राम में विजय दिलाई। देवताओं ने इसे 'भद्रा' नाम से संबोधित किया तथा इस देवी को 'करण' के रूप में स्थान दे दिया।
भद्रा वास -
1. कुंभ, मीन , कर्क व सिंह का चन्द्रमा हो तो भद्रा का निवास मृत्यु लोक में होता है।
2. मेष , वृषभ , मिथुन , वृश्चिक का चन्द्रमा होने पर भद्रा का निवास स्वर्ग लोक में होता है।
3. कन्या , तुला , धनु व मकर का चन्द्रमा होने पर भद्रा का निवास पाताल लोक में होता है।
( सन्दर्भ - ज्योतिष तत्व प्रकाश पेज 40 के अनुसार )
भद्रा वास फल -
भद्रा का वास स्वर्ग लोक में हो तो शुभ कार्य करती है। पाताल में हो तो धन प्राप्ति कराती है।भद्रा का वास मृत्यु लोक में हो तो सब कार्यों का नाश करती है। (अच्छा तो यह है कि भद्राकाल के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाये ।
भद्रा के दौरान किये जाने वाले कार्य :-
बंधन , विष ,आग लगाना ,हथियार बनाना ,उच्चाटन करना आदि कर्म और घोड़ा ,भैंस ,ऊँट विषयक कार्य सिद्ध होते हैं।
युद्ध कार्य में ,राज दर्शन में ,भय ,वन घात ,वैद्यागमन ,तैरना ,गाड़ी आदि कार्यों में भद्रा को ग्रहण किया जाता है।
रक्षा बंधन ,होलिका दहन तथा भद्रा :-
" भद्रायां द्वे न कर्त्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा। "
रक्षाबंधन तथा होलिका दहन के समय भद्रा (विष्टि करण) का त्याग करना चाहिये।अर्थात यदि भद्रा हो तो, न तो राखी बांधी जाती है और न ही होलिका का दहन किया जाता है।