Vidur Neeti विदुर नीति / विदुर के कॉटेसन (हिंदी में )
भागवत धर्म को जानने वालों में महात्मा विदुर जी कास्थान सर्वोपरि है। वे परम बुद्धिमान , प्रज्ञा शक्ति से संपन्न तथा महान योग बल से प्रतिष्ठित थे। महामति विदुर धृतराष्ट्र और पाण्डु के लघु भ्राता थे। इनके द्वारा रचित 'विदुरनीति' एक प्रामाणिक नीति ग्रन्थ माना जाता है।(1) जलती हुई आग से सोने की पहचान होती है , सदाचार से सत्पुरुष की , व्यवहार से साधु की , भय आने पर शूर की , आर्थिक कठिनाई में धीर की, और कठिन आपत्ति में शत्रु और मित्र की परीक्षा (पहचान) होती है।(3/49)
(2 ) शुभ कर्मों से लक्ष्मी की उत्पत्ति होती है , प्रगल्भता से वह बढती है ,चतुरता से जड़ जमा लेती है और संयम से सुरक्षित रहती है।(3/51)
(3) ये आठ गुण पुरुष की शोभा बढ़ाते हैं :- बुद्धि , कुलीनता , दम ,शास्त्र ज्ञान, पराक्रम , बहुत नहीं बोलना , यथा शक्ति दान देना और कृतज्ञ होना। (3/52)
(4) देवता चरवाहों की तरह डण्डा लेकर पहरा नहीं देते हैं। वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं,उसे उत्तम बुद्धि से युक्त कर देते हैं। (3 /40)
(5) घोर जंगल में ,दुर्गम मार्ग में ,कठिन आपत्ति के समय , घबराहट में और प्रहार के लिए शस्त्र उठे रहने पर भी मनोबल सम्पन्न पुरुष को कोई भय नहीं होता है। (7 /67)
(6) उद्योग , संयम , दक्षता , सावधानी , धैर्य , स्मृति और सोच विचारकर कार्य आरम्भ करना -इन्हें उन्नति का मूल मन्त्र समझिये। (7 /68 )
(7) बोलने से नहीं बोलना अच्छा बताया गया है किन्तु सत्य बोलना वाणी की दूसरी विशेषता है, यानि मौन की अपेक्षा भी दुगना लाभप्रद है। सत्य भी यदि प्रिय बोला जाये तो यह तीसरी विशेषता है और वह भी यदि धर्म सम्मत कहा जाये तो वह वचन की चौथी विशेषता है। (4 /12)
(8) जो सबका कल्याण चाहता है , किसी के अकल्याण की बात मन में नहीं लाता है , जो सत्य वादी है , कोमल और जितेन्द्रिय है , वह उत्तम पुरुष माना गया है। (4 / 16)
(9) जो झूठी सांत्वना नहीं देता है , देने की प्रतिज्ञा करके दे ही डालता है , दूसरों के दोषों को जानता है , वह मध्यम श्रेणी का पुरुष है। (4 / 17 )
(10) जो अपने ही ऊपर संदेह होने के कारण दूसरों से भी कल्याण होंने का विश्वास नहीं करता है , मित्रों को भी दूर रखता है , अवश्य ही वह अधम पुरुष है। (4 /19)