Tuesday 23 June 2015

(2.1.3) Chanakya quotes( Chanakya ki shiksha ) in Hindi


 Quotations of Chankya in Hindi चाणक्य के कोटेसन 

1. अपने  व्यवहार में बहुत अधिक सरल मत रहो। जंगल  में सीधे पेड़ों को पहले  काटा जाता है और टेढ़े पेड़ों को छोड़ दिया जाता है।    
 ( चाणक्य )
2.संतुलित मतिष्क के समान कोई आत्म संयम नहीं है , संतोष के समान कोई सुख नहीं है , लालच के समान कोई व्याधि नहीं है , और दया के समान कोई गुण नहीं है।          
 ( चाणक्य )
3. दूसरों की गलतियों से सीखो।आप का जीवन इतना लम्बा नहीं होता  है कि हर बात को सीखने के लिए आप गलती करें।         
 ( चाणक्य )
4. अपने सेवक को उसके कर्त्तव्य पालन के समय परखो , सम्बन्धी को कठिनाई में परखो , मित्र को विपदा में और पत्नी को दुर्भाग्य व  गरीबी में परखो।       
( चाणक्य )
5. चाहे सर्प जहरीला नहीं हो तो भी उसे फुफकारते रहना चाहिये।      
 ( चाणक्य )
 6. सबसे बड़ा गुरु मन्त्र है ,"अपने रहस्यों को कभी भी प्रकट मत करो ,यह (प्रकट करना )आप का विनाश कर देगा।        
 ( चाणक्य )
7. व्यक्ति कर्म से महान होता है , न कि जन्म से।        
 ( चाणक्य )
8. व्यक्ति जो अपने परिवार के सदस्यों से बहुत अधिक लगाव (आसक्ति )रखता है ,वह दुःख और भय का अनुभव करेगा , क्योंकि सभी दुखों का मूल कारण  आसक्ति ही है। इसलये  सुख चाहते हो तो आसक्ति को त्याग दो।           
 ( चाणक्य )
9. प्रत्येक मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ निहित होता है। स्वार्थ के बिना कोई मित्रता नहीं हो सकती है।
 ( चाणक्य )
10. वह व्यक्ति जो हमारे मन में रहता है , वह हमारे नजदीक होता है भले ही वह हमसे दूर हो। लेकिन जो हमारे हृदय में नहीं है, वह हमसे काफी दूर है, भले ही वह हमारे नजदीक ही क्यों नहीं हो?        
 ( चाणक्य )
11. प्रत्येक कार्य को शुरू करने से पहले ,अपने आपसे हमेशा तीन प्रश्न पूछो ,- मैं इसे क्यों कर रहा हूँ , इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं और क्या मैं इसमें सफल हो जाऊंगा ?जब आप इन पर गहनता से विचार कर लें और प्रश्नों का संतोष जनक उत्तर मिल जाये ,तो आप उस कार्य के लिए आगे  बढ़िये।   
 ( चाणक्य ) 
12. पहले पांच वर्ष तक आप अपने बच्चे से स्नेह करो ,अगले पांच वर्षों में उसे डाटो - फटकारो। जब वह सोलह वर्ष का हो जाये तो उसे मित्र के समान समझो।       
 ( चाणक्य )
13. जो कुछ भी पहले  हो चुका है उसके लिए उद्विग्न नहीं होना चाहिए , न ही भविष्य के लिए चिंतित होना चाहिए। विवेकी व्यक्ति केवल वर्तमान पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं।     
 ( चाणक्य )
14. ज्योंही भय आपके नजदीक आये , उस पर आक्रमण करके उसे नष्ट कर दो।      
 ( चाणक्य )
15. आप से उच्च या निम्न श्रेणी के व्यक्तियों  से मित्रता मत करो। ऐसी मित्रता से आप को कोई लाभ नहीं मिलेगा।          
 ( चाणक्य )
16. शिक्षा व्यक्ति का सर्व श्रेष्ठ मित्र होती है। शिक्षित व्यक्ति का हर जगह समान किया जाता है। शिक्षा , सौन्दर्य त्तथा युवावस्था से भी बढ कर है।          
( चाणक्य )
17. पुस्तकें मूर्ख व्यक्ति के लिए उतनी ही अनुपयोगी हैं  जितना दर्पण किसी अंधे व्यक्ति के लिए होता है।
 ( चाणक्य )
18.  ईश्वर प्रतिमा में स्थित नहीं होता है,वह व्यक्ति की भावना में होता है।आत्मा व्यक्ति का मंदिर होती है।
 ( चाणक्य )
19. सांप , राजा , चीता ,ततैया ,छोटा बच्चा , दूसरों  का पालतू कुत्ता और मूर्ख , इन सात को नींद से नहीं जगाना चाहिए।     
 ( चाणक्य )     
20. जब आप किसी कार्य को शुरू  कर देते हो , तो असफलता से मत डरो और न ही उसे बीच में छोडो। निष्ठा पूर्वक कार्य करने वाले लोग ही सफल होते हैं और  प्रसन्न रहते हैं।        
 ( चाणक्य )
21. किसी पुष्प की गंध हवा की दिशा में ही फैलती है। लेकिन किसी व्यक्ति के द्वारा की गई भलाई चारों दिशा में फैलती है।         
 ( चाणक्य )
22. जिस प्रकार अकेला चन्द्रमा रात की शोभा बढा देता है , ठीक उसी प्रकार एक ही विद्वान व सज्जन पुत्र कुल को निहाल कर देता है।          
( चाणक्य )
23. दिन में दीपक जलना , समुद्र में वर्षा , भरे पेट के लिए भोजन और धनवान को दान देना व्यर्थ है।
 ( चाणक्य )
24. जिस प्रकार  सोने में जड़े जाने पर ही रत्न सुंदर लगता है उसी प्रकार  गुण भी योग्य व विवेक शील व्यक्ति के पास जाकर ही सुंदर लगता है।       
  ( चाणक्य )
25. किसी भी चीज के बाहरी रूप को देख कर आप उसके बारे में निर्णय नहीं करें।जो कुछ बाहर से दिखाई देता है, जरूरी नहीं कि अंदर से भी वैसा ही हो।
 ( चाणक्य )
26 जिस प्रकार सूर्योदय होने पर चन्द्रमा का प्रकाश अपनी चमक खो देता है, उसी प्रकार दूसरों का सहारा लेने पर व्यक्ति का स्वयं का अस्तित्व गौण हो जाता है।अत: महान वही है जो अपने बल पर खड़ा है।
( चाणक्य )
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